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सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा, sare jhan se acha hindostan hamara harmonium notes

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  सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा 'सारे जहां से अच्छा' एम. इकबाल द्वारा लिखा गया एक प्रचलित देशभक्ति गीत है। इसे 'तराना-ए-हिन्द' नाम से भी जाना जाता है। स्वतंत्रता के पूर्व लगभग 1904 में लिखे गये भारतीय उप-महाद्वीप के इस स्तुतिगान का सामान्य अर्थ है कि हमारा देश हिन्दोस्तान समस्त संसार से अच्छा है। हम इसकी बुलबुले हैं और यह हमारा गुलिस्तान है। यह सबसे ऊंचा पर्वत है जो हमारी रखवाली करता है। इसकी गोद में हज़ारों नदियां किलकारी करती हैं, जिससे स्वर्ग को भी ईष्या हो जाये। धर्म आपस में द्वेष करना नहीं सिखाता। मूल गीत में अन्य पद भी हैं, परन्तु नीचे दिया गया संक्षिप्त संस्करण भारत में विविध धुनों में प्रचलित हैं। सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा                                                शब्दकार-एम. इकबाल सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा। हम बुल बुलें हैं उसकी, वो गुलसिताँ हमारा।। पर्वत वो सबसे ऊँचा, हम साया आसमाँ का। वो संतरी हमारा, वो पासबाँ हमारा ।। ग...

Harmonium notes... अलंकार

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हमारे हिन्दुस्तानी संगीत में स्वर साधना की अनेक विधियाँ बताई गई हैं। जिनमें से 'सा' साधना, 'आ' साधना, 'ओमकार' साधना तथा इनके साथ-साथ अलंकारों की साधना को भी विशेष रूप से प्रचलता दी गई है। 'अलंकार' का अर्थ 'आभूषण' है। विद्वानों ने उसकी परिभाषा इस प्रकार दी है कि कुछ नियमित वर्षों के समुदाय अलंकार बन जाते हैं। उनको भी आरोह-अवरोह आदि वर्षों की आवश्यकता होती है। प्रचार में गुणीजन अलंकारों को 'पलटों' की संज्ञा भी देते हैं। उदाहरण स्वरूप अलंकार निम्नलिखित हैं जिन्हें साथ में दिये गये सी.डी. पर सुना जा सकता है। उद्देश्य- पाठ के अभ्यास के  विद्यार्थी: स्वरों के अरोही एवं अवरोही क्रम का वर्णन कर सकेंगे; उल्लेखित अलंकारों को गा पायेंगे; आरोही एवं अवरोही क्रम को उचित रूप से लिख पायेंगे। अलंकारों को नीचे दिया गया है। (1) आरोहात्मक क्रम- सा, रे, ग, म, प, ध, नि, सां। अवरोहात्मक क्रम- सां. नि. ध. प. म. ग. रे. सा। (2) आरोहात्मक क्रम- सासा, रे रे, गग, म म, प प ध ध, नि नि, सासां। अवरोहात्मक सांसां, नि नि, ध ध. प. प. म. म. गग, रे रे, सासा। (3) आरोहात्मक क्र...

Harmonium notes.... ॐ जय जगदीश हरे

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Harmonium tips //  ॐ जय जगदीश हरे // मैं ये मान रा हूं, कि सबको ये आरती गानी आती है। क्योंकि जब तक स्वर समझ म ें नहीं आते तब तक गाना बजाना  तो बहुत दूर की बातें  हैं ।        इसलिए ये आरती ही सबसे अच्छा माध्यम है। संगीत सीखने का। इस आरती के स्वर लगभग सभी को पता हों गे।  और आप सबसे पहले  संगीत को समय दीजिए। आप जितना ज्यादा समय देंगे  आपको उतना ज्यादा स्वरों का   ज्ञान होगा।। आप यह नहीं कह सकते कि आपके पास समय नहीं है क्योंकि आपको भी दिन में उतना ही समय (24 घंटे) मिलता है जितना समय महान एंव सफल लोगों को मिलता है | Pract ice kijiye All the best ओम जय जगदीश हरे Harmonium notes      सा     सा~   सासा    सा *नि   सा रे~ ओम  जय    जग      दीश       हरे। Or सा    सासा   सासा   सा *नि    सा रे रे ग   ...

// स्वर ज्ञान //

                      // स्वर ज्ञान // भारतीय संगीत आधारित है स्वरों और ताल के अनुशासित प्रयोग पर। सात स्वरों के समुह को  सप्तक  कहा जाता है। भारतीय संगीत सप्तक के सात स्वर है...

संगीत जल्दी कैसे सीखे

संगीत जल्दी कैसे सीखे दोस्तों आपने देखा होगा कि आपके कई दोस्त या आप खुद भी कई बार कोई म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट खरीद लेते हैं जैसे गिटार या पियानो और कितने हफ्ते महीने या साल भ...