Harmonium notes... अलंकार


हमारे हिन्दुस्तानी संगीत में स्वर साधना की अनेक विधियाँ बताई गई हैं। जिनमें से 'सा' साधना, 'आ' साधना, 'ओमकार' साधना तथा इनके साथ-साथ अलंकारों की साधना को भी विशेष रूप से प्रचलता दी गई है। 'अलंकार' का अर्थ 'आभूषण' है। विद्वानों ने उसकी परिभाषा इस प्रकार दी है कि कुछ नियमित वर्षों के समुदाय अलंकार बन जाते हैं। उनको भी आरोह-अवरोह आदि वर्षों की आवश्यकता होती है। प्रचार में गुणीजन अलंकारों को 'पलटों' की संज्ञा भी देते हैं। उदाहरण स्वरूप अलंकार निम्नलिखित हैं जिन्हें साथ में दिये गये सी.डी. पर सुना जा सकता है।



उद्देश्य-

पाठ के अभ्यास के  विद्यार्थी:

स्वरों के अरोही एवं अवरोही क्रम का वर्णन कर सकेंगे;

उल्लेखित अलंकारों को गा पायेंगे;

आरोही एवं अवरोही क्रम को उचित रूप से लिख पायेंगे।

अलंकारों को नीचे दिया गया है।


(1) आरोहात्मक क्रम-

सा, रे, ग, म, प, ध, नि, सां।

अवरोहात्मक क्रम-

सां. नि. ध. प. म. ग. रे. सा।


(2) आरोहात्मक क्रम-

सासा, रे रे, गग, म म, प प ध ध, नि नि, सासां।

अवरोहात्मक सांसां, नि नि, ध ध. प. प. म. म. गग, रे रे, सासा।


(3) आरोहात्मक क्रम-

सारे ग रे ग म ग म प म प ध प ध नि ध नि सां।

अवरोहात्मक क्रम-

सांनिध. निध प ध प म प म ग म ग रे ग रे सा।


(4) आरोहात्मक क्रम-

सारेगम, रेगमप गमपधमपधनि, पथनि सां।

अवरोहात्मक क्रम-

सांनिधप, निध प म धपमगपमगरे मगरेसा।


(5) आरोहात्मक क्रम-

सारेगमप रेगमपधगमपधनि मपधनिसा

अवरोहात्मक क्रम-

सांनिधपम, निधपमगधपमगरे, पमगरेसा।


(6) आरोहात्मक क्रम-

साग, रे म. ग. प. मध पनि धसां।

अवरोहात्मक क्रम-

साध. निपधमपग मरे, म. सा।


(7) आरोहात्मक क्रम-

साम. रे पग ध. मनि पसां।

अवरोहात्मक क्रम-

साप. निम. धग. परे, म सा।


(४) आरोहात्मक क्रम-

सारे साग. रे ग रे मगमगपमपमधपधपनि धनिधसा।

अवरोहात्यक क्रम-

सानि साथ, निश्रनिपधपमपमपगमगमरेगरेगसा।


(9) आरोहात्मक क्रम-

सा, रे सा गरे, मगपमध पनि ध, सां नि रे सां।

अवरोहात्यक क्रम-

सां रें, नि सां, ध नि पधमपगम. रे ग. सारे, नि सा।


इन अलंकारों का अभ्यास आकार में भी किया जाना चाहिए तथा कंठ की तैयारी के उपरांत इन्हें समयानुसार लय को बढ़ा बढ़ाकर प्रतिदिन किया जाना चाहिए।

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